शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इस दिन भगवान शिव को कैसे खुश करे ।

शिवरात्रि, जिसका शाब्दिक अर्थ है "शिव की रात", भगवान शिव के सम्मान में हर साल मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। यह आमतौर पर फाल्गुन या माघ के हिंदू महीने में अंधेरे पखवाड़े के 14 वें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है।


Shivratri 2023 pooja or vidhi



शिवरात्रि की उत्पत्ति के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय यह है कि यह उस दिन को चिन्हित करती है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था। एक अन्य किंवदंती में कहा गया है कि यह वह रात है जब भगवान शिव ने सृजन, संरक्षण और विनाश का लौकिक नृत्य किया था।



 शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करे ?

शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। पूजा करते समय पालन करने के लिए यहां कुछ सामान्य कदम दिए गए हैं:


  1. उस क्षेत्र को साफ करें जहां आप पूजा कर रहे होंगे और शिवलिंग को आसन पर स्थापित करें।
  2. शिवलिंग को जल, दूध, शहद और घी से स्नान कराएं और फिर भगवान शिव को फूल, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं
  3. घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं और भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें
  4. भगवान शिव की आरती करें और उन्हें प्रसाद अर्पित करें।


कुछ लोग रात भर जागरण भी करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान शिव की स्तुति में भजन करते हैं।


ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि को भक्ति और हृदय की पवित्रता के साथ मनाने से व्यक्ति भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और सभी पापों और कष्टों से मुक्त हो सकता है।



शिवरात्रि व्रत के फायदे


शिवरात्रि व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है जो शिव भक्तों द्वारा बड़े उत्साह और भक्ति से मनाया जाता है। इस व्रत के कुछ फायदे हैं:


  • शारीरिक लाभ: शिवरात्रि व्रत में अन्न, जल आदि की विधिवत पूजा करने से सेहत अच्छी रहती है। इस दिन उपवास करने से शरीर का वजन कम होता है जो वजन घटाने के लिए अच्छा होता है।
  • मानसिक लाभ: शिवरात्रि व्रत मन को शुद्ध करने का एक श्रेष्ठ अवसर होता है। इस दिन के दौरान भक्तों को शिव भगवान का ध्यान अधिक करना चाहिए जो मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। इस दिन के व्रत के दौरान ध्यान और अध्ययन करने से मानसिक तनाव कम होता है जो मन की स्थिरता बढ़ाने में मदद करता है।

  • धार्मिक लाभ: शिवरात्रि व्रत करने से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है जो धार्मिक जीवन में मदद करता है। इस दिन के व्रत के दौरान शिव भगवान की पूजा करने से भक्तों का धार्मिक उत्साह बढ़ता है 




शिवरात्रि 2023 में पूजा करने का अच्छा मुहूर्त


शिवरात्रि के दिन पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त प्रातः 4:21 से दोपहर 1:43 बजे तक होगा। यह मुहूर्त शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त में से एक है जब शिव पूजन किया जाना चाहिए।


इस मुहूर्त में शिवलिंग पर जल, दूध, तांबे का दिया, बेलपत्र और फूल चढ़ाएं और शिव जी की आराधना करें। शिवरात्रि के दिन भक्त शिव के मंत्र जप कर सकते हैं और उन्हें शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।


इसके अलावा, शिवरात्रि के दिन प्रत्येक चौघड़िया के प्रारम्भ समय पर भी पूजा की जा सकती है। चौघड़िया के प्रारम्भ समय के बारे में अधिक जानकारी के लिए स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से संपर्क कर सकते हैं।




शिवरात्रि पर कौन व्रत रख सकता है और कौन नही


शिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो महाशिवरात्रि और चौथी रात्रि शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं।


शिवरात्रि के व्रत को रखने के लिए व्यक्ति के पास अपनी स्थिति और योग्यता होनी चाहिए। व्रत करने से पहले व्यक्ति को इस बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए कि कैसे और क्यों इसे रखा जाता है। इसके लिए धार्मिक ग्रंथों और पूजा विधि की जानकारी लेनी चाहिए।


शिवरात्रि के व्रत रखने के लिए निम्नलिखित लोग उपयुक्त होते हैं:


हिंदू धर्म के अनुयायी

शिव भक्त

सात्विक आहार का पालन करने वाले

शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति

इसके विपरीत, निम्नलिखित लोग शिवरात्रि के व्रत नहीं रख सकते हैं:


बालक

गर्भवती महिला

शारीरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति

आध्यात्मिक रूप से अनुभवशील नहीं होने वाले व्यक्ति




शिवलिंग पर दूध, फल, जल, बेलपत्री आदि चढ़ाने का महत्व


शिवलिंग एक पूजा वस्तु है जिसे हिंदू धर्म में पूजा का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। शिवलिंग पूजा करते समय दूध, फल, जल, बेलपत्री आदि चढ़ाने का एक महत्व है जो निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण होता है:


पूजा में उपयोग होने वाले चीजों से शिवलिंग प्रसन्न होता है: शिवलिंग पूजा के दौरान, शिवलिंग को दूध, फल, जल, बेलपत्री आदि से संपूर्ण करने से शिवलिंग को बहुत प्रसन्नता मिलती है।


प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिए: शिवलिंग पूजा में प्राण-प्रतिष्ठा का महत्व होता है। इस प्रकार, दूध, फल, जल, बेलपत्री आदि का उपयोग करके, शिवलिंग में प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।


उन्नति और समृद्धि के लिए: दूध, फल, जल, बेलपत्री आदि जैसी चीजें पौष्टिक होती हैं और उनमें विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल होते हैं। इन तत्वों से भरपूर चीजें शिवलिंग पर चढ़ाने से, उस स्थान की उन्नति और समृद्धि होती है।

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