क्यू बार बार ताकते हो शीशे को,
नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..!!!
कुछ खास नहीं इन हाथों की लकीरों में,
मगर तुम हो तो एक लकीर ही काफी है…...!!!
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे,
हर खवाब मे बुलाया है तुझे,
क्यू न करे याद तुझ को,
जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे........!!!
मेरे इश्क ने तुझे इतना मुश्किल तो कर ही दिया है,
कि हासिल करने वाला भी तुझे पूरा नहीं पा सकेगा।
नींद पलकों पे बोझिल ख़्वाब सिरहाने बैठे हैं,
रात मुंतजिर है चांद की हम भी दिवाने बैठे है,
सोलह करवटों में एक करवट ही नजर आयी है,
तारे भी बुझे बुझे से हैं जाने कब से महताब मनाने बैठे है ।।
क्यू बार बार ताकते हो शीशे को,
नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..!!!
रूह में शामिल है फ़क़त नस नस में नही,
वो एक शख़्स जो हमारे दस्तरस में नही,
बेहतर तो यह है कि भूल जाएं उसे,
और यही एक बात हमारे बस में नही!
दस्तरस= पहुंच
एक तू ही है जिसे
हर किस्सा सुनाने को जी चाहता हैं..!
वरना यूं तो हमारे
लफ्ज सुनने को दुनिया बेताब हैं....!!
किस्मत पे नाज़ है तो वजह तेरी मोहब्बत,
खुशियां जो पास है तो वजह तेरी मोहब्बत,
मैं तुझसे मोहब्बत की तलब कैसे ना करु,
चलती जो सांस है तो वजह तेरी मोहब्बत ।
कितनी कातिल है ये आरजू जिदंगी की,
मर जाते हैं किसी पर लोग जीने के लिए....।।
कोई तरसता रहा एक बूंद इश्क़ को,
और
किसी को रास ना आया सारा समुन्दर।
वो एक नाम जो चेहरे की रंगत बढ़ा दे,
हां वही इश्क़ कहलाता है साहिब।
मोमबत्तियां नहीं जला करती है लाइट के बिना....!!
चांद नहीं चमक सकता नाईट के बिना....!!
तो फिर मैं कैसे सो जाऊं आपको गुड नाईट कहे बिना....!!
❤Good night❤
फूलों की चुभन पूछिये हमसे
साहिब,
कांटों से जख्म तो दुनिया
खाती है..!!
जिनके करीब बहुत लोग हो,
उनसे फासले रखना ही ठीक होता है।
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✓ हिंदी शायरी...कुछ भी नहीं है खास इन दिनों,, तू जो नहीं है पास इन दिनों ।
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